
- 12 जून को वेब प्लेटफार्म पर रिलीज हो रही फिल्म, इसमें अमिताभ बच्चन व आयुष्मान खुराना का मुख्य किरदार
- आयुष्मान की मां का रोल निभाने वाली लखनऊ की वरिष्ठ कलाकार अर्चना शुक्ला ने फिल्म से जुड़े रोचक किस्से बताए
रवि श्रीवास्तव
Jun 02, 2020, 05:51 AM IST
लखनऊ. 12 जून को अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की फिल्म गुलाबो-सिताबो वेब प्लेटफार्म पर रिलीज हो रही है। इसकी शूटिंग लखनऊ के हजरतगंज और उसके आसपास संकरी गलियों में हुई है। अमिताभ ने फिल्म में मिर्जा का किरदार निभाया है। उनका गेटअप ऐसा था कि, शूटिंग के दौरान हजरतगंज में लोग उन्हें पहचान भी नहीं पाते थे। उन्हें ये मेकअप लगाने व उतारने में छह घंटे लगते थे। इस फिल्म में लखनऊ की वरिष्ठ कलाकार अर्चना शुक्ला ने आयुष्मान की मां का रोल निभाया है। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में फिल्म से जुड़े कुछ किस्से शेयर किए। जैसा उन्होंने बताया वैसा ही लिखा गया है…
पहला किस्सा: अमिताभ को मेकअप लगाने और उतारने में लगते थे 6 घंटे
अर्चना बताती हैं- “पिछले साल जून में इस शूटिंग शुरू हुई थी और लगभग 50 से 60 दिन का शूट चला था। इस पूरी फिल्म में अमिताभ एक खड़ूस बुजुर्ग के रूप में नजर आए हैं। उनका पूरा लुक बदल दिया गया था। इस लुक को देने के लिए विदेश से एक लेडी मेकअप गर्ल को भी बुलाया गया था, जो हमेशा अमिताभ के साथ सेट पर रहती थी। उनको मेकअप करने में 3 घंटे और उतारने में भी इतना ही समय लगता था। इसके लिए अमिताभ 3 घंटे पहले सेट पर आते थे।”
“कभी-कभी सेट पर कॉमिक होकर अपनी मेकअप लेडी से अमिताभ बोलते थे कि कोई मेरी नाक नहीं छू सकता है और यह मेरी नाक सुबह शाम पकड़ती है। जिस पर सभी हंसते थे। मैं सही बताऊं तो अमिताभ के साथ मेरा सीन भी है। लेकिन, सीन के बाद उनसे कोई बात नहीं हुई। वह बहुत रिजर्व रहते थे। सबसे बड़ी बात जहां सबसे ज्यादा मेकअप बच्चन साहब का होता था वहीं, बाकी कलाकारों का एकदम न के बराबर मेकअप होता था। चूंकि, हम लोगों का रोल भी कुछ ऐसा था कि बहुत मेकअप की जरूरत नहीं थी।”

दूसरा किस्सा: पहले ही दिन लीक हुआ था खड़ूस बुजुर्ग बने अमिताभ का लुक
“पहले दिन वह जब सेट पर आए तो उनके आगे पीछे 10 तगड़े बाउंसर थे। मुझे याद है वह पहले दिन लुक टेस्ट के लिए आए थे। मेकअप के बाद वह कुर्सी डालकर वैनिटी के बाहर बैठे थे। उस दिन के बाद ही उनकी फोटोज वायरल हुई थी। इसके बाद उन्होंने सेट पर वैनिटी के बाहर बैठना ही छोड़ दिया। दरअसल, डायरेक्टर ने शूट से पहले ही हमें फिल्म की कहानी और फोटोज वीडियो लीक न करने की सलाह दी थी। जिसको हम सब फॉलो कर रहे थे, लेकिन बच्चन साहब की फोटो लीक हो गई। बाद में पता चला कि सेट पर कुछ लोकल फोटोग्राफर भी थे, जिन्होंने फोटो लीक की थी। हालांकि, बाद में अमिताभ के ट्विटर हैंडल से भी फोटो ट्वीट हुई थी।”

तीसरा किस्सा: अमिताभ के साथ फोटो खिंचाने के लिए 3 से 4 घंटे इंतजार
“अमिताभ बच्चन से मेरी मिलने की ख्वाहिश थी। लेकिन, कभी सोचा नहीं था कि उनके साथ काम करूंगी। गुलाबो-सिताबो की लगभग 50 से 60 दिन का शूट में सीन के अलावा अमिताभ से कोई बात नहीं हुई। हालांकि, हम जो लोकल कलाकार थे, वह अपनी यादों के लिए बच्चन साहब और आयुष्मान के साथ फोटो खिंचाना चाहते थे। तय हुआ कि जब शूट का आखिरी दिन होगा तो उस दिन ग्रुप फोटो होगी। चूंकि, हमारी शूट पैकअप से दो दिन पहले खत्म हो गई थी।”
“आखिरी दिन हम लोग जो लोकल कलाकार थे, सब सुबह 8 बजे तक पहुंच गए। उस दिन शहर में दो जगह शूट था तो बच्चन साहब दूसरी लोकेशन पर शूट कर हम जिस लोकेशन पर थे वहां वापस आए फिर वहां शूट शुरू हुआ। शूट खत्म होने के बाद वह वैनिटी टीम में आ गए। हम लोगों ने प्रोडक्शन मैनेजर से कहा कि हम लोगों की अमिताभ के साथ फोटो खिंचवा दे तो उसने कहा वह वैनिटी से निकलें तो आप लोग पकड़ लीजिएगा। मैं इसमें कोई मदद नहीं कर सकता। बहरहाल, मेकअप वगैरह उतारने के बाद जब वह वैनिटी वैन से बाहर आए तो उन्हें तुरंत हम लोगों ने घेर लिया और तड़ातड़ फोटो खींच डाली। जब तक वह कुछ समझते, तब तक हमारा काम हो चुका था। बहरहाल, वह मुस्कुराए और आगे निकल गए।”

चौथा किस्सा: जब फैन का मैसेज सुन परेशान हो गए थे आयुष्मान
“फिल्म में मैं आयुष्मान की मां बनी हूं तो कभी कभी ब्रेक में भी हमारी जो फिल्म में फैमिली है, सब इकट्ठे बैठते थे। इसी दौरान मेरा एक जानने वाला लड़का है, जो कि आरजे है। उसने जब जाना कि मैं आयुष्मान के साथ काम कर रही हूं तो उसने कहा मेरा मैसेज उन तक पहुंचा दीजिए कि मैं आयुष्मान का बहुत बड़ा फैन हूं। मैं उनके लिए कुछ भी कर सकता हूं। यहां तक कि मैं अपनी जान भी दे सकता हूं। जब ये बात मैंने आयुष्मान को बताई तो वह बहुत परेशान हो गया। उसने कहा कि उस लड़के से आप बोलो ऐसा वैसा कुछ न करे। मैं भी बिल्कुल वैसा ही हूं जैसा वह है। मेरे में कुछ खास नहीं है। वह अपना काम कर रहा है और मैं अपना काम कर रहा हूं।
आयुष्मान बहुत ही डाउन टू अर्थ लड़का है। ब्रेक में भी हमसे अपने परिवार की बातें किया करता था। हमारे बारे में सब कुछ जानना चाहता था। ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ हमसे ही बात करता वह अन्य कलाकारों से भी बात करता था। वह सबसे सेट पर मजाक वगैरह किया करता था। एक बार मुझे सोने की एक्टिंग करनी थी तो मेरी तबियत खराब थी तो मैं लेटी और मैं खर्राटे लेने लगी। जिसकी आयुष्मान समेत सभी लोगों ने खूब तारीफ की।”

पांचवां किस्सा: बच्चन साहब को कोई पहचान नहीं पाता था
“अमिताभ और आयुष्मान को लेकर लखनऊ में आउटडोर शूट करना बड़ा मुश्किल काम था। इसलिए आउटडोर शूट पर भारी सुरक्षा रहती थी। दोनों तरफ की रोड को ब्लॉक कर दिया जाता था। अगर वहां पब्लिक होती भी तो अमूमन मेकअप की वजह से बच्चन साहब को कोई जल्दी पहचान भी नहीं पाता था। अगर किसी वजह से भीड़ इकट्ठा भी होती थी तो उनके बाउंसर्स तुरंत उनके पास पहुंच कर घेर लिया करते थे।”
Leave a Reply